Anju Dixit

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2022 बाबुल

बेटीयाँ बाबुल के आंगन से यों तो नाता  तोड़ आती हैं।
लेके आँख में आँसू दुआ  छोड़ आती हैं।

मौसम जब भी आता है यह सावन का,
आता है ख्याल उन झूले के मौसम का,
चुपके से ख्वाब में जाकर आज भी बागों में झूले झूल आती हैं।

यों मिलना हो नहीं पाता महीनों  तक सबसे,
जिनके बिन था एक पल कभी रहना मुश्किल,
उम्र भरके  लिए  उन सबको छोड़ आती हैं।

दूर होके सारे अपनो से नई दुनिया बनाती हैं,
पल पल सांसो में बीते लम्हें बिठाती हैं,
सब कुछ भूलके वो अपनी दुनिया मे खो जाती हैं।

पर हकीकत जान लो उनकी यह सब बोलने बालों,
वो बाबुल की बातें वो मम्मी की सूरत सुबह की आँख
खुलने से रात की आँख लगने तक आँखों में लेकर सो जाती हैं।

बहुत तड़पता है मन का परिंदा,
फिर लौट जाना  चाहता है  उस आँगन में,
जहाँ यादें आज भी कितनी फड़फड़ाती है।

हम बेटीयाँ ऐसी ही होती हैं मायके से दूर रहकर भी,
वो सावन वो आँगन वो बचपन, वो जवानी के पल
न जानी कितनी  कहानी वहीं छोड़ आतीं हैं।

सावन तो आज भी आता है,
पर वो फुहारें नही लाता,
साबन के साथ में आँखें भी बरसात लाती हैं।
न कभी बाबुल का  आँगन छोड़ पाती हैं।


   12
13 Comments

Punam verma

16-Mar-2022 08:57 AM

Nice

Reply

Anju Dixit

16-Mar-2022 01:45 PM

धन्यवाद आपका

Reply

Abhinav ji

16-Mar-2022 07:35 AM

बहुत ही जबरदस्त

Reply

Anju Dixit

16-Mar-2022 01:45 PM

धन्यवाद

Reply

Dr. Arpita Agrawal

16-Mar-2022 12:30 AM

Beautiful 👌

Reply

Anju Dixit

16-Mar-2022 01:46 PM

धन्यवाद

Reply